करणी माता मंदिर || Karni Mata Temple
करणी माता का यह मंदिर जो बीकानेर में स्थित है बहुत ही अनोखा मंदिर है इस मंदिर में रहते हैं लगभग 20000 काले चूहे लाखों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु यहां अपने मनोकामना पूरी करने आते हैं करणी देवी जी ने दुर्गा का अवतार माना जाता है कि मंदिर को चूहा वाला मंदिर भी कहा जाता है| यहां चूहों को काबा कहते हैं और इन्हें बाकायदा भोजन कराया जाता है उनकी सुरक्षा की जाती है यहां इतने चूहे हैं कि आपके पांव में सेट कर चलना पड़ेगा अगर एक चूहा भी आपके पैर के नीचे आ गया तो आप शगुन माना जाता है कहा जाता है कि एक चूहा भी आपके पैर के ऊपर से ऊपर गुज़र गया तो आप पर देवी की कृपा हो गई समझो और यदि आपने सफेद चूहा देख लिया तो आपकी मनोकामना पूर्ण होती है |
This temple of Karni Mata which is situated in Bikaner is a very unique temple. About 20000 black rats live in this temple. Lakhs of tourists and devotees come here to fulfill their wishes. It is believed that Karni Devi Ji is the incarnation of Durga. It is also called rat temple. Here the rats are called Kaaba and they are fed regularly and they are protected. There are so many rats here that you have to walk with your feet set on them. If even one rat comes under your feet then it is considered a good omen. It is said that If even a rat passes over your feet, then consider that you have been blessed by the Goddess and if you see a white rat, then your wish is fulfilled.
कन्याकुमारी देवी मंदिर || Kanyakumari Devi Temple
कन्याकुमारी पॉइंट को इंडिया का सबसे निचला हिस्सा माना जाता है यहां समुद्र तट पर ही कुमारी देवी का मंदिर है यहां मां पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है यह भारत में एक मात्र ऐसी जगह है जहां मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुरुषों को कमर से ऊपर के कपडे उतारने होंगे पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्थान पर देवी का विवाह संपन्न ना हो पाने के कारण बचे हुए दाल चावल बाद में कंकड़ पत्थर बन गए | कहा जाता है इसलिए ही कन्याकुमारी के बीच में रेत में दाल और चावल के रंग रूप वाले कंकड़ बहुत मिलते हैं | आश्चर्य भारा सवाल तो यह भी है कि हर एक कंकड़ दल या चावल के आकार जितने ही देखे जा सकते हैं | प्राकृतिक सौंदर्य यदि आप मंदिर दर्शन को गए हैं तो यहां सूर्योदय और सूर्यास्त भी देखें कन्याकुमारी अपने सनराइज दृश्य के लिए काफी प्रसिद्ध है | सुबह हर विश्राम वाले की छत पर टूरिस्ट की भारी भीड़ सूरज की अगवानी के लिए जमा हो जाती है शाम को अरब सागर में डूबते सूरज को देखना भी यादगार होता है उत्तर की ओर करीब 2 से 3 किलोमीटर दूर एक सनसेट पॉइंट भी यहां है|
Kanyakumari Point is considered to be the lowest part of India. There is a temple of Kumari Devi on the beach itself. Here the girl form of Mother Parvati is worshipped. This is the only place in India where men are required to undress from the waist up to enter the temple. You will have to remove your upper clothes. According to mythological beliefs, due to the goddess’s marriage not being solemnized at the place, the remaining pulses and rice later turned into pebbles and stones. It is said that this is why pebbles having the color of pulses and rice are found in abundance in the sand in the middle of Kanyakumari. The surprising question is that each pebble the size of a ball or rice can be seen. Natural Beauty: If you have gone to visit the temple then also see the sunrise and sunset here. Kanyakumari is very famous for its sunrise view. In the morning, a huge crowd of tourists gather on the rooftop of every rest house to welcome the sun. In the evening, watching the sun setting in the Arabian Sea is also memorable. There is also a sunset point about 2 to 3 kilometers to the north.
मेरु रिलिजन स्पॉट, कैलाश पर्वत || Meru Religion Spot, Mount Kailash
हिमालय पर्वत की उच्चतम श्रृंखला में मानसरोवर में यह बहुत पवित्र जगह है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान महादेव स्वयं विराजमान है यह धरती का केंद्र है दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित कैलाश मानसरोवर के पास ही कैलाश और आगे मेरु पर्वत हैं यहां इस संपूर्ण क्षेत्र शिव और देवलोक कहा गया है रहस्य और चमत्कार से परिपूर्ण स्थान की महिमा वेद और पुराणों में भरी पड़ी है|
This is a very sacred place in Mansarovar in the highest range of the Himalayan Mountains. According to mythological beliefs, Lord Mahadev himself is seated here. This is the center of the earth. Kailash, located at the highest place in the world, is located near Mansarovar and Mount Meru is further here in this entire area. Shiva and Devlok have been said to be a place full of mysteries and miracles. The glory of this place is filled in the Vedas and Puranas.
शनि शिंगणापुर मंदिर || Shani Shingnapur Temple
शनि शिंगणापुर देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं उनमें से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर विश्व प्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित शनि देव की पाषाण प्रतिमा बगैर किसी क्षत्रिय गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है यहां शिंगणापुर शहर में भगवान शनि महाराज का खौफ इतना है कि शहर के अधिकांश घरों में खिड़की दरवाजे और तिजोरी नहीं है दरवाजा की जगह यदि लगे हैं तो केवल पर्दे ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ चोरी नहीं होती| कहा जाता है कि जो भी चोरी करता है उसे शनि महाराज सजा स्वयं देते हैं इसके कई प्रत्यक्ष उदाहरण देखे गए हैं शनि के प्रकोप से मुक्ति के लिए यहां पर विश्व भर से प्रति शनिवार लाखों लोग आते हैं |
Shani Shingnapur There are many temples of Suryaputra Shani Dev in the country, one of the main ones is the Shani Temple of Shingnapur located in Ahmednagar district of Maharashtra. The specialty of this world famous Shani temple is that the stone statue of Shani Dev situated here is in the open sky without any Kshatriya dome. Below, he is seated on a marble platform. Here in the city of Shingnapur, the fear of Lord Shani Maharaj is so much that most of the houses in the city do not have windows, doors or safes. If there are only curtains instead of doors, it is because there is no theft here. It is said that whoever steals, Shani Maharaj himself punishes him. Many direct examples of this have been seen. Lakhs of people from all over the world come here every Saturday to get relief from the wrath of Shani.
सोमनाथ मंदिर || Somnath Temple
सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है | प्राचीन काल में इसका शिवलिंग हवा में झूलता था लेकिन आक्रमण कार्यों में से तोड़ दिया गया | माना जाता है कि यहाँ 24 शिवलिंगों की स्थापना की गई थी उसमें सोमनाथ का शिवलिंग बीचो-बीच था इनमें से कुछ शिवलिंग आकाश में स्थित कर्क रेखा के नीचे आते हैं गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चंद्र देव ने किया था इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है इस स्थान को सबसे रहस्यमा जाता है| यदुवंशियों के लिए यह प्रमुख स्थान है इस मंदिर को अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनः निर्माण किया गया है| यही भगवान श्री कृष्ण ने अपना देह त्याग किया था| श्री कृष्णा भालू का तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलवे में पद्म चीन्ह को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था तब ही कृष्ण ने देह त्याग कर यहीं से वैकुंठ गमन किया| इस स्थान पर भी बड़ा ही सुंदर कृष्ण मंदिर बना हुआ है|
Somnath Temple is an important Hindu temple which is counted as the first Jyotirlinga among the 12 Jyotirlingas. In ancient times, its Shivalinga used to swing in the air but it was broken during invasions. It is believed that 24 Shivalingas were established here, in which the Shivalinga of Somnath was in the middle. Some of these Shivalingas come below the Tropic of Cancer located in the sky. It is said about this temple located in Veraval port in Saurashtra region of Gujarat. The fact that it was built by Chandra Dev himself is also mentioned in the Rig Veda. This place is considered to be the most mysterious. This is an important place for the Yaduvanshis. This temple has been destroyed 17 times so far and has been rebuilt every time. This is where Lord Shri Krishna left his body. Shri Krishna was resting on the pilgrimage site of Bear, when a hunter shot an arrow at the sole of his foot, mistaking it for the deer’s eye and then Krishna left his body and went to Vaikuntha from here. A very beautiful Krishna temple is also built at this place.
कामाख्या मंदिर || Kamakhya Temple
कामाख्या मंदिर को तांत्रिक का गढ़ कहा जाता है माता के 51 शक्तिपीठों में से इस पीठ को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है | यह असम के गुवाहाटी में स्थित है यहां त्रिपुरा सुंदरी मातंगी और कमल की प्रतिमा मुख्य रूप से स्थापित हैं | दूसरी ओर साथ अन्य रूपों की प्रतिमा अलग-अलग मंदिरों में स्थापित की गई है जो मुख्यमंदिर को घेरे हुए हैं | पौराणिक मान्यता है कि साल में एक बार अंबुबाची पर्व के दौरान मां भगवती राजसविला होती हैं और मां भगवती की गर्भ ग्रह स्थित महामुद्रा से निरंतर तीन-तीन तक जल प्रवाह के स्थान से रक्त प्रवाह होता है इस मंदिर के चमत्कार और रहस्यों के बारे में किताबें भरी पड़ी हैं हजारों ऐसे किस्से हैं जिससे इस मंदिर के चमत्कारिक और रहस्यमय होने का पता चलता है |
Kamakhya temple is called the stronghold of Tantrik. This Peetha is considered the most important among the 51 Shaktipeeths of Mata. It is situated in Guwahati, Assam. Here the statues of Tripura Sundari Matangi and Lotus are mainly installed. On the other hand, statues of other forms have been installed in different temples which surround the main temple. It is a mythological belief that once a year, during the Ambubachi festival, Maa Bhagwati becomes Rajasavila and blood flows continuously from the Mahamudra located in the womb of Maa Bhagwati from the place of water flow for three times. Books about the miracles and secrets of this temple. There are thousands of such stories which reveal the miraculous and mysterious nature of this temple.
अजंता एलोरा मंदिर || Ajanta Ellora Temple
अजंता एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबादशहर के समय पर स्थित हैं यह गुफाएं बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई है 29 गुफाएं अजंता में तथा 34 गुफाएं एलोरा में हैं इन गुफाओं को वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया गया है इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासको द्वारा बनवाया गया था इन गुफाओं के रहस्य पर आज भी शोध किया जा रहा है यहाँ ऋषि मुनि गहन तपस्या और अध्ययन करते थे |
Ajanta Ellora caves are located at the time of Aurangabad city of Maharashtra. These caves have been made by cutting big rocks. There are 29 caves in Ajanta and 34 caves in Ellora. These caves have been preserved as World Heritage. They were built by the rulers of the Rashtrakuta dynasty. The secrets of these caves are being researched even today. Here the sages and sages used to do intense penance and study.
खजुराहो का मंदिर || Khajuraho Temple
खजुराहो का मंदिर आखिर क्या कारण थे कि उस काल के राजा ने सेक्स को समर्पित मंदिर की एक पूरी श्रृंखला बनवाई | यह रहस्य आज भी बरकरार है खजुराहो वैसे तो भारत के मध्य प्रदेश प्रांत के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटा सा कस्बा है लेकिन फिर भी में ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा देखें और घूमने जाने वाले पर्यटक स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता तो वह है खजुराहो का मंदिर | खजुराहो भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नया मिसाल है चंदेल शासको ने इन मंदिरों का निर्माण सन 900 से ₹1130 ई के बीच करवाया था| इतिहास में इन मंदिरों का सबसे पहले जो उल्लेख मिलता है वह रेहान अलबरूनी 1022 ई तथा अब मुसाफिर की इब्नबतूता का है कलाकार की की चंदेल राजाओं ने करीबिबो 84 बेजोड़ में लाजवाब मंदिरों का निर्माण करवाया था| लेकिन उनमें से अभी तक सिर्फ 22 मंदिरों की खोज हो पाई है या मंदिर तथा जैन संप्रदाय से संबंधित हैं |
Khajuraho Temple: What were the reasons why the king of that period built a series of temples dedicated to sex? Khajuraho is a small town situated in the Chhatarpur district of Madhya Pradesh province of India, but after the Taj Mahal, if there is any other name among the most visited and visited tourist places then it is Khajuraho. Temple of Khajuraho is a new example of Indian Aryan architecture and architecture. The Chandela rulers built these temples between 900 and 1130 AD. The earliest mention of these temples in history is by Rehan Alberuni in 1022 AD and now by Musafir’s Ibn Battuta who writes that Chandela kings had built wonderful temples in Karibibo 84 Bejod. But among them only 22 temples have been discovered so far or are related to the temple and Jain sect.
उज्जैन का काल भैरव मंदिर || Kaal Bhairav Temple of Ujjain
उज्जैन का काल भैरव मंदिर के बारे में सभी जानते हैं कि यहां की काल भैरव की मूर्ति मदिरापान करती है इसलिए यहां मंदिर में प्रसाद की जगह शराब चढ़ाई जाती है यही शराब यहां प्रसाद के रूप में भी मदिरा दी जाती है कहा जाता है कि कल भैरवनाथ इस शहर के रक्षक हैं इस मंदिर के बाहर साल के 12 महीने और 24 घंटे शराब उपलब्ध रहती है |
Everyone knows about Kaal Bhairav Temple of Ujjain that the idol of Kaal Bhairav here drinks alcohol, hence liquor is offered here in the temple instead of Prasad. The same liquor is also given as Prasad here. It is said that Kal Bhairavnath Liquor is available 24 hours a day for 12 months of the year outside this temple.
ज्वाला देवी मंदिर || Jwala Devi Temple
ज्वाला देवी का मंदिर हिमाचल के कांगड़ा घाटी के दक्षिण में 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां मां सती के 51 शक्ति पीठ में से एक है यहां माता की जीभ गिरी थी | हजारों वर्षों से यहां स्थित देवी के मुख से अग्नि निकल रही है इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी इस जगह का एक अन्य आकर्षक तांबे का पाईप भी है जिसमें से प्राकृतिक गैस का प्रवाह होता है| इस मंदिर में अलग अग्नि की अलग-अलग नौ लपटे हैं जो अलग-अलग देवियों को समर्पित हैं | वैज्ञानिक के अनुसार यह अमृत ज्वालामुखी की अग्नि हो सकती है | हजारों साल पुराने मां ज्वाला देवी के मंदिर में जो 9 जुलाई प्रज्वलित हैं वह नौ देवियों महाकाली, महालक्ष्मी ,सरस्वती, अन्नपूर्णा , चंडी ,विंध्यवासिनी, हिंगलाजभवानी, अंबिका और अंजना देवी की ही स्वरुप हैं| कहते हैं कि सतयुग में महाकाली की परम भक्त राजा भूमि चंद्र ने स्वप्न से प्रेरित होकर यह भव्य मंदिर बनवाया था जो भी सच्चे मन से इस राह में मंदिर के दर्शन के लिए आया है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं|
Jwala Devi temple is located 30 kilometers south of Kangra Valley of Himachal, where it is one of the 51 Shakti Peethas of Maa Sati, where the mother’s tongue had fallen. Fire has been coming out from the mouth of the goddess situated here for thousands of years. This temple was discovered by the Pandavas. There is also another attractive copper pipe at this place from which natural gas flows. There are nine different flames of fire in this temple which are dedicated to different goddesses. According to the scientist, this nectar could be the fire of the volcano. The nine goddesses that are lit on July 9 in the thousands of years old temple of Maa Jwala Devi are the forms of nine goddesses Mahakali, Mahalakshmi, Saraswati, Annapurna, Chandi, Vindhyavasini, Hinglaj Bhavani, Ambika and Anjana Devi. It is said that in Satyayuga, Raja Bhoomi Chandra, a great devotee of Mahakali, had built this grand temple inspired by his dream. Whoever comes on this path with a true heart to visit the temple, all his wishes are fulfilled
आज इस पोस्ट में भारत के 10 रहस्यमय मंदिर के बारे में पढकर बहुत ही अच्छा लगा । बहुत बढिया जानकारी है
thanks